उलझनों और कश्मकश में.. उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..!
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए.. मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ...!!
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का.!
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ ....!!
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक.!
गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ ..!!
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुब
उलझनों और कश्मकश में.. उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..!
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए.. मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ...!!
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का.!
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ ....!!
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक.!
गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ ..!!
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक.!
मुझे क्या फ़िक्र. मैं कश्तीया और दोस्त... बेमिसाल लिए बैठा हूँ..!!
सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।
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ख़्वाबों को तो अक्सर हकीकत की ज़मीन पर ही रक्खा है,
ये बदबख्त अरमान चले गए आसमानों की दहलीज़ परे !!
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इक ठहरा हुआ खयाल तेरा,
कितने लम्हों को रफ़्तार देता है..
आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का,
दो बूँद बारिश ने औकात बता दी !
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अभी तो बस इश्क़ हुआ है,
मंजिल तो मयखाने में मिलेगी
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ग़म की दुकान खोल के बैठा हुआ था मैं;
आँसू निकल पड़े हैं ख़रीददार देख कर.!!
भरे बाजार से अक्सर मैँ खाली हाथ लौट आता हूँ .!
पहले पैसे नहीँ होते थे आजकल ख्वाहिश नहीँ होती..!!
कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आँसु,
वो जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने !
तेरी चाहत ने अगर मुझको न मारा होता,
मैं ज़माने में किसी से भी न हारा होता….
रंग तेरी महोब्बत का, उतर न पाया अब तक…….!!
लाख बार खुद को, आँसुओं से धोया मैंने………..
हारा हुआ सा लगता है वजूद मेरा,
हर एक ने लूटा है दिल का वास्ता देकर..
क़तल ऐसा हुआ टुकड़ो में मेरा
कभी बदले खंजर तो कभी क़ातिल बदल गए
मुझसे मेरे गुनाहो का हिसाब ना मांग मेरे खुदा
मेरी तकदीर लिखने में कलम तेरी ही चली है
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा।
जब मिलो तो किसी से जरा दूर का रिस्ता रखना,
बहुत तड़पते है अक्सर सीने से लगाने वाले ..!!
मसला तो सिर्फ एहसासों का है, जनाब... रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते हैं
बेफिक्र सा था बालो की सफेदी देखकर ,नींद उड़ा दी किसी ने अच्छे लगते हो कहकर ..!!
राजेश पोरवाल
रिक्वेस्ट फ्रेंड अनफ्रेंड और ब्लॉक ये सेब नए चोचले है मैंने तो आज भी पुरानी किताब मै उसके मुझाये फूल संभाले है
करन
इलज़ाम मुझ पर इतने संगीन है की
बरी होके भी बेगुनाह नहीं रहूँगा मै
बस कुछ दिनों की बात है ज़िंदगी
फिर तेरा खिलौना नहीं रहूँगा मै "
---ख्वाब
बिछड़ गया है उसका असर क्यों नहीं जाता .!
कब से ठहरा है जहन मे,उतर क्यों नहीं जाता ..!!
यकीन मानिये अब यकीन भी यकीन के लायक नहीं
इलज़ाम मुझ पर इतने संगीन है की
बरी होके भी बेगुनाह नहीं रहूँगा मै
बस कुछ दिनों की बात है ज़िंदगी
फिर तेरा खिलौना नहीं रहूँगा मै "
---ख्वाब
बिछड़ गया है उसका असर क्यों नहीं जाता .!
कब से ठहरा है जहन मे,उतर क्यों नहीं जाता ..!!
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